हरियाणा का क्लाइमेट एक्शन प्लान:गांव बनेंगे जलवायु लचीलेपन के केंद्र

चंडीगढ़, 30 जुलाई-हरियाणा ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के मकसद से, राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (एसएसपीसीसी) को संशोधित करते हुए गांवों को इस योजना के केन्द्र में रखा है। यह नई रणनीति ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने, जमीनी स्तर पर लचीलापन बढ़ाने और राज्य के समग्र विकास एजेंडे से जलवायु लक्ष्यों को जोड़ने पर आधारित है।

‘एग्री-जल संवाद’ पर आयोजित सेमिनार में पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण ने कहा कि जलवायु परिवर्तन केवल वैश्विक चुनौती नहीं, यह हमारे किसानों, परिवारों और खेतों को भी प्रभावित कर रहा है। उन्होंने बताया कि असामान्य बारिश, बढ़ती गर्मी और गिरता भूजल स्तर हरियाणा की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि लचीलापन अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है।

संशोधित राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजना जलवायु परिर्वतन से निपटने की महत्वाकांक्षी कार्ययोजना है। यह कृषि, जल, जैव विविधता, वन और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिसमें स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इसमें फसल विविधीकरण, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और पानी की एक-एक बूंद का सदुपयोग करना शामिल है। यह योजना मनरेगा और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी मौजूदा योजनाओं में जलवायु प्राथमिकताओं का एकीकरण सुनिश्चित करती है।

श्री आनंद मोहन शरण ने कहा, “जलवायु परिवर्तन का असर पहले गांवों में दिखता है, इसलिए समाधान भी वहीं से शुरू होना चाहिए।” योजना के तहत ग्राम पंचायतों को जलवायु कार्यों को अपनी विकास योजनाओं में शामिल करने, विशेष फंडिंग प्राप्त करने और स्थानीय स्तर पर क्षमता निर्माण की सुविधा दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिला और खंड स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि सिंचाई प्रबंधन से लेकर आजीविका सहायता तक हर निर्णय में जलवायु लचीलापन को प्राथमिकता मिल सके।

हरियाणा सरकार जर्मन एजेंसी जीआईजैड और नाबार्ड जैसे संगठनों के साथ तकनीकी सहयोग, नवाचार और वित्तीय सहायता के लिए साझेदारी कर रही है। इसके साथ ही ग्लोबल क्लाइमेट फंड तथा कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत संसाधनों को जोड़ने के प्रयास जारी हैं।

By Gurpreet Singh

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